स्वास्थ्य विभाग अभियान: साढ़े 8 करोड़ से अधिक का होगा कुष्ठ एवं क्षय रोग पहचान
Maharashtra: राज्य में कुष्ठ रोग उन्मूलन के लिए जनस्वास्थ्य विभाग 31 जनवरी से 14 फरवरी तक नववर्ष में घर-घर जाकर कुष्ठ एवं क्षय रोग पहचान अभियान चलाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने इस दौरान ग्रामीण एवं चयनित शहरी क्षेत्रों में करीब 8 करोड़ 66 लाख 25 हजार नागरिकों का सर्वेक्षण करने का लक्ष्य रखा है। पिछले कुछ वर्षों में कुष्ठ रोग उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए गए लगातार प्रयासों के कारण राज्य में कुष्ठ रोगियों की संख्या में कमी आई है। वर्ष 2023-24 में प्रति हजार कुष्ठ रोगियों की संख्या 1.16 थी, जो वर्ष 2024-25 में यानी सितंबर 2024 के अंत तक घटकर 1.07 हो गई है। स्वास्थ्य विभाग ने इस दर को और कम करने का निर्णय लिया है।
जनस्वास्थ्य विभाग के कुष्ठ रोग पहचान अभियान के लिए राज्य मीडिया जागरूकता समिति की बैठक हाल ही में आयोजित की गई। स्वास्थ्य सेवा आयुक्त अमगोथु रंगा नायक के मार्गदर्शन में आयोजित बैठक में स्वास्थ्य निदेशक डॉ. नितिन अंबाडेकर, राज्य क्षय रोग एवं कुष्ठ रोग के संयुक्त निदेशक डॉ. संदीप सांगले, राज्य स्वास्थ्य शिक्षा एवं आउटरीच विभाग के उप निदेशक डॉ. कैलाश बाविस्कर, कुष्ठ रोग के सहायक निदेशक डॉ. रामजी अडकेकर, राज्य स्वास्थ्य शिक्षा एवं आउटरीच विभाग के सहायक निदेशक डॉ. संजयकुमार जठार, सहायक निदेशक डॉ. दिगंबर कंगुले, सहायक निदेशक डॉ. नितिन भालेराव, सहायक निदेशक, बॉम्बे कुष्ठ रोग परियोजना के निदेशक डॉ. विवेक पई और अन्य उपस्थित थे।
राज्य के सभी ग्रामीण एवं चयनित शहरी क्षेत्रों में कुष्ठ रोग सर्वेक्षण किया जाएगा। इसके लिए 70,768 खोज दल बनाए जाएंगे और 1 करोड़ 73 लाख घरों का दौरा कर कुष्ठ एवं क्षय रोग का सर्वेक्षण किया जाएगा। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर 30 जनवरी को कुष्ठ निवारण दिवस मनाया जाता है। इस दिन कुष्ठ मुक्त महाराष्ट्र के लिए शपथ ली जाएगी। इस अवसर पर 31 जनवरी से 14 फरवरी 2024 तक कुष्ठ एवं क्षय रोग जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। जन जागरूकता एवं जन सहभागिता के लिए पूरे प्रदेश में विभिन्न गतिविधियां संचालित की जाएंगी। कुष्ठ रोग के प्रति व्यापक जागरूकता लाने के लिए 26 जनवरी को प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में ग्राम सभाएं आयोजित की जाएंगी।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा कुष्ठ रोग उन्मूलन के लिए विभिन्न स्तरों पर किए गए प्रयासों के साथ-साथ कुष्ठ रोगियों को निरंतर प्रदान किए जा रहे उपचार के परिणामस्वरूप प्रदेश में कुष्ठ रोगियों की संख्या में कमी आई है। वर्ष 2023-24 में प्रति हजार कुष्ठ रोगियों की संख्या 1.16 थी, जो वर्ष 2024-25 में अर्थात सितम्बर 2024 के अंत तक घटकर 1.07 हो गई है। कुष्ठ रोग उन्मूलन के लिए विभिन्न स्तरों पर किए जा रहे सघन प्रयासों के बावजूद समाज में भय एवं भ्रांतियों के कारण यह रोग समाप्त नहीं हो पाया है। कोरोना संक्रमण के बाद रोगियों की संख्या में मामूली वृद्धि हुई थी। हालांकि, कोरोना खत्म होते ही स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों को खोजने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया। स्वास्थ्य विभाग के संचालक डॉ. नितिन अंबाडेकर ने बताया कि कुष्ठ रोगियों की संख्या में कमी आई है, क्योंकि अधिक से अधिक रोगियों को ढूंढकर उनका जल्द से जल्द इलाज किया गया।