नए साल के पहले दिन नक्सली को बड़ा झटका, 10 से अधिक नक्सली ने किया आत्मसमर्पण
Maharashtra: नए साल के पहले दिन नक्सली आंदोलन को बड़ा झटका लगा है। पिछले 38 वर्षों से नक्सली आंदोलन में सक्रिय रहे दुर्दांत नक्सली, दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के सदस्य और नक्सली केंद्रीय कमेटी के सदस्य भूपति की पत्नी विमला सिदाम उर्फ तारक्का ने बुधवार को गढ़चिरौली पुलिस मुख्यालय में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें 1 डीकेएसजेडसीएम, 3 डीवीसीएम, 2 एसीएम और 4 दलम सदस्य शामिल हैं। इन सभी पर कुल 86 लाख 5 हजार रुपये का इनाम था। मुख्यमंत्री फडणवीस ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को संविधान की प्रति देकर सम्मानित किया।
दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सदस्य तारक्का पिछले 38 वर्षों से नक्सल आंदोलन में था आत्मसमर्पण करने वालों में विमला चंद्र सिदाम उर्फ तारक्का उर्फ वत्सला उर्फ तारा डीकेएसजेडसीएम, सुरेश उइके उर्फ चैतू उर्फ बोटी, डीवीसीएम कुतुल एरिया कमेटी और उनकी पत्नी कल्पना गणपति तोरेम उर्फ भारती उर्फ मदनी (डीवीसीएम), अर्जुन तनु हिचामी उर्फ सागर उर्फ सुरेश डीवीसीएम राही दलम और उनकी पत्नी सांभ पांडु मट्टामी उर्फ बूंदी (एसीएम डी.के. जोन डॉक्टर टीम), वनिता सुकलू धुर्वे उर्फ सुशीला (एसीएम) शामिल हैं। भामरागड दलम), निशा बोदका हेडो उर्फ शांति डिप्टी कमांडर पेरामिली दलम, श्रुति उल्गे हेडो उर्फ मन्ना, सदस्य कंपनी नंबर 10, शशिकला पतिराम धुर्वे वेस्ट सबजोनल प्रेस टीम सदस्य, सोनी सुक्कू मत्तामी राही दलम सदस्य, आकाश सोमा पुंगती उर्फ वाटे सदस्य प्लाटून नंबर 32।
फड़णवीस ने कहा कि चूंकि नक्सलियों को यह एहसास हो गया है कि संविधान विरोधी होने के कारण उनका विकास नहीं हो पा रहा है देश विरोधी गतिविधियों से दूर रहकर कई लोग देश की व्यवस्था और संविधान पर भरोसा करके मुख्यधारा में आ रहे हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जिला प्रशासन और पुलिस विभाग द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों के कारण पिछले चार वर्षों में नक्सल आंदोलन में एक भी नया सदस्य भर्ती नहीं हुआ है। इस अवसर पर विभिन्न मुठभेड़ों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को सम्मानित भी किया गया। 62 वर्षीय तारक्का नक्सलियों के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सदस्य और दंडकारण्य डिवीजन की मेडिकल टीम का प्रमुख था। अहेरी तालुका के किष्टापुर की मूल निवासी तारक्का पिछले 38 वर्षों से नक्सल आंदोलन में सक्रिय थी। वह बेहद खूंखार थी। वह कई मुठभेड़ों और हत्याओं में शामिल थी।