मंत्रिमंडल के फैसले के अनुरूप पांचवी आठवीं की परीक्षा केन्द्रीयकृत करने के संबंध में स्कूल शिक्षा सचिव ने जारी किया विस्तृत दिशा निर्देश
परिक्षा बोर्ड के पैटर्न पर होंगे , केंद्राध्यक्ष भी नियुक्त होंगे, मूल्यांकन भी अलग स्कूल के शिक्षक करेंगे लेकिन फेल नहीं किया जा सकेगा
गत कैबिनेट की बैठक में शिक्षा की गुणवत्ता में आ रही गिरावट को देखते हुए पांचवी एवं आठवीं की परीक्षा को केंद्रीयकृत करने के संबंध में विष्णु देव सरकार की कैबिनेट ने निर्णय लेकर इस विषय में शिक्षा विभाग को आगे की कार्यवाही के लिए अधिकृत कर दिया था इसके बाद आज स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी के हस्ताक्षर से विस्तृत दिशा निर्देश परीक्षा आयोजन के संबंध में जारी कर दिए गए हैं, जिसके अनुसार मार्च महीने में परीक्षा का आयोजन किया जाएगा ।परीक्षा के लिए विषय विशेषज्ञ शिक्षकों के द्वारा प्रश्न पत्र तैयार किए जाएंगे ,केंद्र अध्यक्ष की नियुक्ति भी होगी और उसका मूल्यांकन भी अन्य स्कूलों के शिक्षकों के द्वारा कराया जाएगा, लेकिन विद्यार्थियों को असफल होने की दशा में 2 महीने के भीतर फिर से परीक्षा देनी होगी। छात्रों को फेल करने के विषय में शासन के स्वीकृति की आवश्यकता होगी। शासन के इस निर्णय को शिक्षा के गुणवत्ता में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। शिक्षाअधिकार के अधिकार(नीचे आदेश का विस्तृत अध्ययन कर सकते हैं)
अधिनियम के अंतर्गत प्राथमिक से लेकर पूरे माध्यमिक तक के बच्चों को फेल घोषित नहीं किया जा सकता है।
पांचवी आठवीं की केंद्रीय किए जाने के संबंध में दिशा निर्देश के अनुसार किसी भी बालक से प्राप्त बालक किसी भी बालक को प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक कोई बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी।
विगत कुछ वर्षों में विद्यार्थियों के शैक्षिक गुणवत्ता का पर असर पड़ा है भारत सरकार द्वारा निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2019 लाया गया इसमें धारा 16 में निम्न अनुसार परिवर्तन किए गए जिसके अनुसार 16 (1) के अनुसार प्रत्येक शैक्षणिक सत्र में कक्षा पांचवी एवं आठवीं की परीक्षा ली जाएगी 10 बिंदुओं में जारी दिशा निर्देश का सार यही है कि ,इस पूरी प्रक्रिया में शिक्षकों के लिए कार्य और बढ़ गया है ।जबकि विद्यार्थियों को फेल अभी भी नहीं किया जाएगा। उन्हें अगली कक्षा में क्रमशः पूरक परीक्षा लेकर के कक्षा उन्नति दी जाएगी इसका
अर्थ यह हुआ कि नई परीक्षा प्रणाली में भी भले ही बोर्ड परीक्षा की तरह से होगी। लेकिन विद्यार्थियों को अनुत्तीर्ण नहीं किया जाएगा ।इस संबंध में दिए गए दिशा निर्देश का अध्ययन कर सकते हैं ।