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निमेसुलाइड के इस्तेमाल पर रोक: गिद्धों के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार का अहम फैसला

New Delhi: जंगली जानवरों को दर्द से राहत दिलाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा निमेसुलाइड गिद्धों के लिए जानलेवा साबित हो रही है और केंद्र सरकार ने देश में इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। गिद्धों के संरक्षण को बड़ा बढ़ावा देने के लिए यह फैसला लिया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। पशु चिकित्सक जानवरों का इलाज करते समय उन्हें दर्द निवारक के रूप में निमेसुलाइड देते हैं। हालांकि, इस दवा के कारण मृत जानवरों को खाने वाले गिद्धों के लिए यह जानलेवा है।

इसलिए ड्रग टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड ऑफ इंडिया (डीटीएबीआई) ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से गिद्धों के लिए जानलेवा इस दवा पर पूरे देश में प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक पत्रिका एनवायरनमेंट साइंस एंड पॉल्यूशन रिसर्च में कुछ साल पहले प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि भारत में गिद्ध निमेसुलाइड के कारण मर रहे हैं, जो उन्हें दर्द कम करने के लिए दिया जाता है इसलिए भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने निमेसुलाइड पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। 90 के दशक में भारत में गिद्धों की 99 प्रतिशत मौतों के लिए डाइक्लोफेनाक दवा जिम्मेदार थी।

बाद में एसीक्लोफेनाक और कीटोप्रोफेन दवा गिद्धों के लिए जानलेवा पाई गई। इसलिए केंद्र सरकार ने डाइक्लोफेनाक पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। जबकि अन्य दो दवाओं पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास लंबित है। डाइक्लोफेनाक की तरह निमेसुलाइड भी गिद्धों के लिए खतरनाक है। अगर निमेसुलाइड का इस्तेमाल पशु चिकित्सा दवाओं में जारी रहा तो यह भारत में गिद्धों के लिए खतरा बन सकता है। इसलिए यह सिफारिश की गई कि गिद्धों के संरक्षण के लिए भारत सरकार निमेसुलाइड पर प्रतिबंध लगाए।

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