Chhattisgarh News: विकासखंड के ग्राम लक्ष्मीपुर में इस वर्ष स्वीकृत 135 प्रधानमंत्री आवासों में से अधिकांश गांव के संपन्न लोगों के नाम पर आवंटित किए गए हैं। हकीकत में झुग्गी-झोपड़ी जैसे जर्जर मकानों में रहने वाले लोग आज भी बदहाली में जी रहे हैं। शहर से महज 3 किलोमीटर दूर स्थित विवादित गांव लक्ष्मीपुर एक बार फिर प्रधानमंत्री आवास योजना आवंटन के नाम पर विवादों में है। गांव का दौरा करने पर पता चला कि इस वर्ष गांव में करीब 135 परिवारों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना स्वीकृत की गई है। इनमें कई लाभार्थी ऐसे भी दिखे, जिनके पास पहले से ही सभी जरूरी सुविधाओं से युक्त दो मंजिला मकान है। एक लाभार्थी के पास तो जेसीबी भी है, बावजूद इसके वह इसी परिवार के नाम पर है। ऐसे ही एक लाभार्थी ने अपना मकान बनवाना भी शुरू नहीं किया और आवास की दूसरी किस्त भी उसके नाम पर जारी हो गई। वहीं, गांव के हृदय राम पांडव, धरमू, रजनी और कंचनलता सहित ग्रामीण कमल सेन जो अपनी टूटी-फूटी झोपड़ियों में रहते हैं, ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि उनका मकान पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। देश के प्रधानमंत्री द्वारा गरीबों को आवास देने की घोषणा और उसके क्रियान्वयन से वे खुश हैं।
वर्ष 2016 के सर्वेक्षण में उनका नाम भी शामिल था, लेकिन इस वर्ष बड़ी संख्या में आई प्रधानमंत्री आवास योजना की सूची से उनका नाम गायब था। उनकी जगह गांव के अंजू, लक्ष्मी लाल गौटिया, सतनारायण चूरन यादव जैसे लोगों के नाम थे, जो पहले से ही अमीर हैं और उनके पास पक्के मकान भी हैं।
पक्के मकानों की जानकारी के बाद भी स्वीकृत- सरपंच
सरपंच धनराज भोई ने बताया कि जिला और जनपद के अधिकारियों ने ग्राम पंचायत को विवादित बना दिया है। पूर्व में पदस्थ ग्राम सचिव द्वारा नए सचिव को प्रभार न सौंपने तथा जनपद सीईओ द्वारा मेरी शिकायत पर कोई कार्यवाही न करने के कारण इस पंचायत का लोकतंत्र लगभग समाप्त हो गया तथा अफसरों का राज स्थापित हो गया, जिसके कारण वास्तविक हितग्राहियों को आवास न मिलकर गांव के धनी लोगों के नाम पर आवास आवंटित हो गए, जिसके कारण वास्तविक हितग्राही ग्रामीण आवास से वंचित हो गए हैं। श्री भोई के अनुसार ग्राम सभा की बैठक के बाद उन्होंने गांव में विद्यमान आवासों तथा वहां के धनी हितग्राहियों के बारे में जानकारी दी थी, इसके बावजूद इस प्रकार से आवासों की सूची तैयार किया जाना आश्चर्य की बात है। श्री भोई ने फर्जीवाड़ा करने वाले जनपद अधिकारी कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।