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महाराष्ट्र में सूखे से निपटने की तैयारी, खरीफ फसल संबंधी केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा

मुंबई । भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग में संयुक्त सचिव (विस्तार) सैमुअल प्रवीण कुमार और महाराष्ट्र सरकार के कृषि आयुक्तालय, पुणे में कृषि आयुक्त सुनील चव्हाण की सह-अध्यक्षता में आज एक बैठक आयोजित की गई। इसका उद्देश्य महाराष्ट्र में बुआई की प्रगति के साथ-साथ सूखे से निपटने की तैयारी और खरीफ फसल संबंधी गतिविधियों की समीक्षा करना था। इसके अलावा, राज्य के सभी संबंधित योजना नोडल अधिकारियों की उपस्थिति में कृषि क्षेत्र में केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न योजनाओं और केंद्रीय क्षेत्र की परियोजनाओं के कार्यान्वयन का विस्तार से पुनरावलोकन किया गया।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, पुणे के अपर महानिदेशक के एस होसालिकर और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, पुणे के वैज्ञानिक डॉ. एस डी सनप के साथ महाराष्ट्र में मॉनसून की प्रगति तथा जुलाई 2023 महीने में वर्षा के पूर्वानुमान की समीक्षा की गई। आज की तारीख में महाराष्ट्र में 39 प्रतिशत वर्षा की कमी है और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार जुलाई महीने के दौरान राज्य में मॉनसून के रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है। आंकड़ों के अनुसार, जहां कोंकण क्षेत्र में सामान्य से अधिक बारिश हुई है, वहीं मराठवाड़ा, विदर्भ और मध्य महाराष्ट्र जैसे अन्य इलाकों में कम बारिश हुई है। हालांकि, इस तथ्य पर विचार किया गया है कि अगले दो सप्ताह में वर्षा या तो सामान्य होगी या फिर इसके सामान्य से अधिक होने की संभावना है और यह दृष्टिकोण काफी आशावादी प्रतीत होता है।

बैठक के दौरान, महाराष्ट्र सरकार के कृषि निदेशक दिलीप ज़ेंडे द्वारा एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई, जिसमें महाराष्ट्र में कृषि संबंधी गतिविधियों, मुख्य फसलों और लागू की जा रही योजनाओं का अवलोकन किया गया। उन्होंने राज्य में सूखे से निपटने की तैयारी के लिए किये जा रहे उपायों का भी उल्लेख किया। इस बात की भी स्वीकृत अभिव्यक्ति रही कि सूखे से निपटने की तैयारी के लिए केंद्र सरकार के सभी निर्देश महाराष्ट्र सरकार को प्राप्त हो गए हैं और उसी के तहत योजना बनाई जा रही है तथा जरुरत के अनुसार समय-समय पर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

कृषि निदेशक ने यह भी बताया कि पूरे महाराष्ट्र राज्य में 25 जून, 2023 से 1 जुलाई, 2023 तक “कृषि संजीवनी सप्ताह” मनाया गया। सात दिन तक चले इस कार्यक्रम के दौरान मृदा स्वास्थ्य, फसल प्रौद्योगिकी एवं प्रसंस्करण तकनीकी आदि जैसे मुद्दों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए गए और इस सप्ताह का समापन माननीय स्वर्गीय वसंतराव नाइक के जन्मदिन 1 जुलाई को “कृषि दिवस” के रूप में मनाए जाने के साथ हुआ।

महाराष्ट्र के चार राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्‍थान और कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से हर जिले के लिए आकस्मिक योजनाएं तैयार की गई हैं तथा सभी क्षेत्रीय पदाधिकारियों अर्थात संयुक्त कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारियों व जिला कलेक्टरों को इस बारे में सूचित कर दिया गया है। आंकड़ों के अनुसार 3 जुलाई तक राज्य में 20.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई की गई है तथा अगले कुछ दिनों में इसमें और तेजी आने की उम्मीद है। महाराष्ट्र में सोयाबीन एवं कपास खरीफ की पैदावार प्रमुख रूप से होती है और इसके बाद दलहन व धान की फसलें आती हैं।

जहां तक केंद्रीय योजनाओं के कार्यान्वयन का प्रश्न है, तो महाराष्ट्र राज्य ने प्रति बूंद अधिक फसल योजना को लागू करने में बहुत शानदार प्रदर्शन किया है। वर्ष 2022-23 में इस योजना के तहत 1,27,627 लाभार्थी किसानों को सब्सिडी वितरित की गई है और 1,12,000 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की परियोजनाओं के तहत लाया गया है।

इसके अलावा, केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न योजनाओं और केंद्रीय क्षेत्र की परियोजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा की गई तथा महाराष्ट्र सरकार के कृषि आयुक्त ने बताया कि राज्य स्तरीय मंजूरी समिति (एसएलएससी) की बैठक 17/05/2023 को आयोजित की गई थी। इस दौरान केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न योजनाओं के तहत धनराशि जारी करने पर चर्चा की गई। यह भी बताया गया कि आरकेवीवाई-डीपीआर घटक को छोड़कर सभी केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए धनराशि की मांग का पत्र निर्धारित मानदंडों को पूरा करने के बाद भारत सरकार को सौंप दिया गया है, जिसे अगले 2-3 दिनों के भीतर जमा कर दिया जाएगा। राज्य को सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन के तहत धनराशि की पहली किस्त मिल चुकी है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा यह आश्वासन दिया गया था कि दिशानिर्देशों के अनुसार धन का उपयोग करने के लिए सभी कदम उठाए जाएंगे ताकि आगे की किश्तों को सुचारू रूप से जारी करने में तेजी लाई जा सके।

कम बारिश के कारण महाराष्ट्र में सूखे जैसे हालात की स्थिति में उत्पन्न होने से पहले ही ऐसी किसी भी परेशानी से निपटने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी आकस्मिक उपायों की योजना तैयार कर ली गई है तथा उन्हें लागू कर दिया गया है, तो ऐसे में इस बैठक का आयोजन एक महत्वपूर्ण समय पर किया गया है।

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