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प्राकृतिक आपदा-सूखे की मार से बिजली उत्पादन पर असर

सैंज। कुुल्लू जिला में बहने वाली पार्वती व ब्यास नदी की निर्मल धाराएं इन दिनों करंट नहीं पकड़ पा रही हैं। आसमानी बारिश व बर्फबारी न होने के चलते नदियों में पानी एकदम कम हो गया है, जिस कारण बिजली के पावर हाउस में ऊर्जा उत्पादन में भारी गिरावट आई है। ब्यास व इसकी सहायक नदियों में 1546 मेगावाट बिजली के पावर हाउस तैयार हैं, जिनमें 800 मेगावाट का पार्वती दो, 520 मेगावाट कापार्वती तीन, 100 मेगा वाट का सैंज प्रोजेक्ट और 126 मेगावाट क्षमता की लारजी परियोजना स्थापित है। हालांकि एक यूनिट जल्द शुरू होने की बात कही जा रही है। प्राकृतिक आपदा की मार झेल रही एनएचपीसी ने 520 मेगावाट के पार्वती पावर स्टेशन बिहाली में आगामी तीन महीने के लिए डैम साइट में निर्माण कार्य का हवाला देते हुए प्रदेश सरकार से शटडाउन की स्वीकृति ली है, जबकि 126 मेगावाट की लारजी परियोजना के पावर हाउस में सिल्ट आने के चलते पिछले सात महीनों से ऊर्जा उत्पादन ठप होने की जानकारी है।

100 मेगावाट क्षमता की सैंज बिजली परियोजना में इन दिनों मात्र 15 मेगावाट बिजली तैयार हो रही है, जबकि पार्वती परियोजना-2 में स्थिति और भी नाजुक बनी हुई है। एनएचपीसी ऊर्जा उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए अब पीक सीजन का इंतजार कर रही है। उल्लेखनीय यह भी है कि पार्वती व ब्यास नदी के पानी से देश के आठ राज्य जगमगा रहे हैं, परंतु पहाड़ों में बर्फबारी व बारिश न होने के चलते नदियों में पानी का जलस्तर काफी कम गया है, जिस कारण ऊर्जा कंपनियों को बिजली उत्पादन में भारी मुश्किल पैदा हो रही है। सैंज हाइड्रो प्रोजेक्ट के प्रमुख इंद्र शर्मा ने बताया कि पिछले एक दशक से पहली बार देखने को मिल रहा है कि नदियां बिलकुल सूख गई है और ऊर्जा उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की गई है। उधर, लारजी परियोजना के स्थानिक अभियंता सुमित कुमार ने बताया कि गत वर्ष जुलाई माह में आई बाढ़ ने पावर हाउस को तहस-नहस कर दिया, जिसका असर उत्पादन पर पड़ रहा है। पार्वती पावर स्टेशन बिहाली में तैनात मानव संसाधन प्रमुख जीटीएस राजू ने बताया कि फिलहाल प्रोजेक्ट में विद्युत उत्पादन बंद है।

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