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छत्तीसगढ़

प्रदेश में जैविक खेती की ओर किसानों का बढ़ा रूझान

रायपुर। छत्तीसगढ़ में रियायती दर पर सहजता से उच्च गुणवत्ता की वर्मी कम्पोस्ट उपलब्ध होने से किसानों का जैविक खेती की ओर रूझान बढ़ा है। राज्य के किसान खेती में अब वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करने लगे हैं। सहकारी समितियों से मात्र 10 रूपए किलो की दर से कृषि ऋण के रूप वर्मी कम्पोस्ट की प्रदाय किए जाने की व्यवस्था के चलते किसानों को आसानी हुई है।

गौठानों में गोबर से वर्मी कम्पोस्ट के अलावा महिला समूह गो-काष्ठ, दीया, अगरबत्ती, मूर्तियां एवं अन्य सामग्री का निर्माण एवं विक्रय कर लाभ अर्जित कर रही हैं। गौठानों में महिला समूहों द्वारा इसके अलावा सब्जी एवं मशरूम का उत्पादन, मुर्गी, बकरी, मछली पालन एवं पशुपालन के साथ-साथ अन्य आय मूलक विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिससे महिला समूहों को अब तक 158 करोड़ 42 लाख रूपए की आय हो चुकी है। राज्य में गौठानों से 17,486 महिला स्व-सहायता समूह सीधे जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 2,05,817 है। गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत एवं प्राकृतिक पेंट सहित अन्य सामग्री का भी उत्पादन किया जा रहा है।

गौरतलब है कि गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में 2 रूपए किलो में क्रय किए जा रहे गोबर से महिला समूहों द्वारा बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट सहित अन्य कम्पोस्ट खाद तैयार की जा रही है। कम्पोस्ट खाद की गुणवत्ता निजी कम्पनियों द्वारा मार्केट में अधिक कीमत पर बेची जाने वाली खाद से कई गुना बेहतर है। गौठान की महिला समूह द्वारा उत्पादित कम्पोस्ट खाद में से 28 हजार 67 हजार 666 क्विंटल खाद का विक्रय हो चुका है.

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