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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा – सुप्रीम कोर्ट

नई संविधान पीठ दर्जे की वैधानिकता रहेगी या नहीं उस पर आगे की सुनवाई करेगी

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे पर अपना फैसला सुना दिया है ।अदालत ने कहा है कि यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को नए सिरे से तय करने के लिए तीन जजों के एक समिति गठित की गई है कोर्ट ने 4–3 के बहुमत से यह फैसला सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 1968 के फैसले को इसका आधार बनाया हैं ।सात जजों के संविधान पीठ ने नियमित बेंच के पास मामला भेज दिया है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे पर कानून निर्णय पर लड़ाई फिलहाल जारी रहेगी। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे की बहाली की मांग वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में संविधान बेंच ने फैसला सुनाया है। इस मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की दलील थी कि इसे अल्पसंख्यक खांचे में रखना सही नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की बेंच के फैसले के मुताबिक मुताबिक फिलहाल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा, लेकिन कब यह बरकरार रहेगी या नहीं उसका फैसला तीन जजों की बेंच तय करेगी। विश्वविद्यालय का इतिहास अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बारे में आपको बताते हैं ,इस विश्वविद्यालय की स्थापना सात छात्रों से हुई थी । इसमें आज 35000 छात्र अध्यनरत है ।1920 में अलीगढ़ विश्वविद्यालय की स्थापना सर सैयद अहमद खान के द्वारा की गई थी। इसे पहले मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल स्कूल के रूप में इसे शुरू किया गया था ।कहा जाता है, कि शुरुआत में यहां सिर्फ सात छात्र थे ।सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक दर्जे की हकदार माना है इस मामले में कोर्ट ने अपना ही 1968 का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने बदल दिया है ,जिसमें कहा गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान के दर्जे का दावा नहीं कर सकता।

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