एनआइटी के शोधार्थी का यह माडल हो रहा हैं मददगार शाबित, जानिए कैसे

रायपुर। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) रायपुर के शोधार्थी ने ऐसा माडल तैयार किया है, जो स्तन कैंसर के इलाज में मददगार होगा। इससे ना सिर्फ स्तन कैंसर की स्थिति का पता लगाया जा सकेगा, बल्कि मरीज के लिए कीमोथेरेपी की उपयोगिता व जोखिम का मूल्यांकन भी किया जा सकेगा।
एनआइटी की शोधार्थी प्रियंका खन्ना ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर के रोगियों की बढ़ती संख्या और इलाज में सहयोग के लिए शोध कर माडल (हाइब्रिड माडल बेस्ड आन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंशन) तैयार किया है। साफ्टवेयर के माध्यम से स्तन कैंसर रोगी के एमआरआइ का आंकलन किया जाता है। कैंसर के फैलाव व स्थिति को भापकर यह परिणाम निकाला जाता है कि मरीज में कीमोथेरेपी कितना कारगर होगा।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के साथ तैयार माडल को इस तरह विकसित किया गया है कि यह एमआरआइ को स्कैन कर अधिकतम 10 मिनट में रिपोर्ट दे देता है। ब्रेस्ट कैंसर के 600 रोगियों के डाटाबेस के आधार पर हुए शोध में 85 प्रतिशत तक परिणाम मिले हैं।

शोधार्थी प्रियंका ने बताया कि पहले मरीज का एमआरआइ रिपोर्ट लेते हैं। साफ्टवेयर के माध्यम से स्क्रैन किया जाता है। अब सिस्टम छवि का मूल्यांकन करता है। छवियों के माध्यम से ट्यूमर का आकार, कुछ रक्त मापदंडों और अन्य कारकों का मापता है। और रोगी के लिए कीमोथेरेपी कितना कारगर है और परिणाम दे सकता है। उसकी रिपोर्ट देता है। इसके बाद रेडियोलाजिस्ट व विशेषज्ञ से प्रमाणित किया जाता है।
स्तन कैंसर में कीमोथेरेपी की उपयोगिता का पता लगा सकते हैं, जिससे मरीज का इलाज और बेहतर तरीके से होगा। चिकित्सकों का और मरीजों का समय बचेगा। इलाज में बेहतर परिणाम के लिए प्रभावी होगा। शोधार्थी की गाइड सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग की सहायक प्राध्यापक डा. मृदु साहू ने बताया कि इस माडल की व्यापकता के लिए आगे भी शोध किया जाएगा।

एनआइटी के सहायक प्राध्यापक डा. मृदु साहू ने कहा, हमारे शोधार्थी ने एआइ मशीन लर्निंग माडल तैयार किया है। जो स्तन कैंसर मरीजों के एमआरआइ रिपोर्ट का आंकलन कीमोथेरेपी की उपयोगिता और आवश्यकता पर बेहतर परिणाम दे रहा है। इसका फायदा इलाज में मिलेगा। इसके व्यापकता के लिए आगे भी शोध किया जाएगा।
डा. भीमराव आंबेडकर अस्पताल सर्जरी (ब्रेस्ट आंकोप्लास्टी सर्जन) विभागाध्यक्ष प्रो. डा. मंजू सिंह ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर की स्थिति एमआरआइ से पता चल जाती है। कीमोथेरेपी की आवश्यकता के लिए कुछ जांचें करानी पड़ती है। इसमें समय लग जाता है। किसी तरह का एआइ मशीन लर्निंग माडल मददगार तो होगा। पर यह देखना भी जरूरी है कि इसके परिणाम कितने सटिक हैं।