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उस्ताद “जाकिर हुसैन” के निधन से दुनियाभर में उनके तबला प्रेमी प्रशंसक स्तब्ध

जाकिर हुसैन एक अद्वितीय विरासत छोड़ गए हैं

दुनिया भर में जाने-माने तबला वादक ,हमारे देश में जन्में उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन हो गया है ।वे 73 साल के थे ,अमेरिका के अस्पताल में उन्हें इलाज के लिए भर्ती कराया गया था । जाकिर हुसैन को प्रसिद्ध ग्रैमी अवार्ड से भी नवाजा गया था।
सोमवार को तबीयत बिगड़ने के बाद सेंन फ्रांसिस्को के अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया था। सोमवार सुबह सोशल प्लेटफॉर्म पर पी. टी .आई .ने लिखा था कि 73 वर्ष से जाकिर हुसैन का सेन फ्रांसिस्को के अस्पताल में निधन हो गया है ।जिसकी बाद में परिवार ने पुष्टि भी कर दी थी।
देश भर सहित दुनिया भर में उनके चाहने वाले तबला प्रेमी प्रशंसक स्तब्ध है ।छत्तीसगढ़ में भी उनके प्रशंसकों की कोई
कमी नहीं है।
दुनिया भर के कई बड़े समाचार एजेंसियों ने उनके निधन के संबंध ने सूचनाएं जारी की हैं।

अमेरिका के पब्लिक ब्रॉडकास्टर नेशनल ,पब्लिक ,रेडियो में जाकिर हुसैन के परिवार का बयान भी छपा है। उसने बयान में लिखा है कि एक शिक्षक के रूप में उनके काम ने अनगिनत संगीतकारों पर एक अमित छाप छोड़ी है ।उन्होंने अगली पीढ़ी को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित भी किया। वह एक सांस्कृतिक राजदूत और महानतम संगीतकारों में से एक के रूप में एक अद्वितीय विरासत छोड़ गए हैं।
भारत में उनके निधन से शोक की लहर छा गई है।
जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था और उन्हें 1988 में पद्मश्री 2002 में पद्मभूषण और 2030 में पद में विभूषण से नवाजा गया था ।उनके पिता का नाम उस्ताद अल्ला रखा कुरैशी और मां का नाम बीवी बेगम था।

जाकिर हुसैन के निधन पर दुनिया भर के उनके प्रशंसकों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है ।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ,उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाथ, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय,अमिताभ बच्चन सहित सभी हस्तियों ने श्रद्धांजलि दी है।

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