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विज्ञान

अन्तरिक्ष में प्रग्नेनसी को लेकर कौन-कौन सी समस्याएं आती है सामने

अंतरिक्ष :  दुनिया अंतरिक्ष में बहुत आगे बढ़ रही है. अभी लोगों को सिर्फ चंद्रमा और मंगल ग्रह पर इंसानों को भेजने की तैयारी वाले मिशनों के बारे में ही जानकारी है। मंगल जैसे ग्रह पर इंसानों को लंबे अभियानों पर भेजने की चुनौतियों से पार पाने के लिए ही वैज्ञानिक जगत में इस विषय पर अधिक शोध किया गया है। इसमें भविष्य में या मंगल जैसे ग्रह पर इंसानों के बसने की संभावना भी शामिल है। लेकिन क्या पृथ्वी के बाहर जनसंख्या स्थापित करना संभव है? क्या अंतरिक्ष में गर्भधारण संभव है? इसमें क्या चुनौतियां हैं, इस पर विशेषज्ञों ने अपनी राय दी है.

वर्तमान तकनीक पर्याप्त नहीं है
यह स्पष्ट रूप से माना जाता है कि अंतरिक्ष में मानव प्रजनन प्रक्रिया वर्तमान समय में लगभग असंभव है। अभी शादी से लेकर बच्चे को जन्म देने तक की हर प्रक्रिया को असंभव माना जाता है। न्यूजवीक के लेख में विशेषज्ञों ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है. विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा तकनीक के साथ अंतरिक्ष में बच्चा पैदा करना संभव नहीं है। अगर हम छोटे-छोटे जमे हुए भ्रूणों को मंगल ग्रह या गहरे अंतरिक्ष में ले जाएं तो भी क्या बच्चा पैदा हो सकता है? इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी न सिर्फ गर्भधारण को मुश्किल बनाती है, बल्कि भ्रूण के विकास में भी कई तरह की गड़बड़ी पैदा करती है।

अभी कोई जानकारी नहीं
नॉटिंघम विश्वविद्यालय में प्रजनन और शरीर प्रक्रिया विकास के एसोसिएट प्रोफेसर एडम वॉटकिंस का कहना है कि वास्तव में कोई नहीं जानता कि अंतरिक्ष में गर्भावस्था हो सकती है या नहीं। उनका कहना है कि विकसित प्रौद्योगिकियां सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर काबू पाने में मदद कर सकती हैं।

गुरुत्वाकर्षण की समस्या हल हो सकती है
वॉटकिंस का कहना है कि गुरुत्वाकर्षण की समस्या बहुत बड़ी नहीं है. भ्रूण के विकास में गुरुत्वाकर्षण बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। किसी गर्भवती महिला को अंतरिक्ष या मंगल जैसे ग्रह पर ले जाने के बजाय वहां जमे हुए शुक्राणु, अंडे या भ्रूण भेजना बेहतर होगा। जिससे वहां प्रजनन प्रक्रिया को बढ़ाया जा सके, लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं हो सकता है।

इस मुद्दे पर प्रयोग करने में कई नैतिक चुनौतियाँ हैं। यही कारण है कि इस पर कोई प्रयोग और ठोस शोध नहीं हो सका है। चूहों पर कुछ प्रयोग किये गये हैं लेकिन परिणाम उत्साहवर्धक नहीं रहे हैं। गर्भवती महिलाओं को माइक्रोग्रैविटी के अलावा हानिकारक विकिरण से भी बचाना होगा, जिसके लिए अभी तक मजबूत तकनीक विकसित नहीं हो पाई है। लंबी यात्राओं के कारण पुरुष अंतरिक्ष यात्रियों को पहले से ही इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

नोट- खबरों की अपडेट के लिए जागरूक नेशन पर बने रहे।

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